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राज्यों

नीतीश सरकार का नियोजन, ठेका या अतिथि के रूप में बहाली कमज़ोर वर्गों को नौकरी से वंचित रखने की साजिश?

जब से नीतीश कुमार ने कुर्सी संभाली है तब से वो लगातार समाज को, नौजवान को नुकसान पहुंचाते आये हैं. लगभग हर विभाग में ठेके पर लोगों को काम पर रखा गया. इसका लाभ किसे मिलता है? अफसरों, नेताओं के बच्चों को… पैरवी पहुंच वाले को…! आम आदमी, गरीब आदमी के पास न घुस देने के लिए पैसा है न पहुंच है, परिणामस्वरूप वो फॉर्म तो भर लेता हैं लेकिन उनका नियोजन नहीं हो पाता… सब फिक्सड रहता है पहले से!

शिक्षक नियुक्ति के बदले नियोजन किया गया। फर्जी शिक्षकों की संख्या कितनी है ये किसी को नहीं पता. कई बार ऐसा न्यूज़ आता है कि बिहार में भारी संख्या में फर्जी शिक्षकों का नियोजन हुआ है। देखने को भी मिलता है और शिक्षकों की कार्यशैली से भी लगता है कि ये फर्जी हैं, अयोग्य हैं. अब ये अयोग्य, फर्जी शिक्षक बिना किसी “सेटिंग्स” के तो नहीं बहाल हुए होंगे..?

सबको पता है लेकिन वोट बैंक के लालच में नीतीश जी शिक्षा की ऐसी तैसी कर रहे हैं. शिक्षकों की कमी को लेकर अब तो कोर्ट को कहना पड़ रहा है कि आपने शिक्षा का मजाक बना दिया! हम बात कर रहे थे नियोजन की. नियुक्ति के बदले नियोजन से भी मन नहीं भरा तो अब गरीब नौजवानों को बर्बाद करने के लिए एक और फॉर्मूला लेकर आये हैं–अतिथि शिक्षक का!

जी, ये तथाकथित विकास पुरुष जी सिर्फ अतिथि शिक्षक की भर्ती करेंगे! इसमे सेलेक्शन उन्हीं लोगों का होगा जो “सेटिंग्स”वाले हैं. बिहार सरकार की कार्यशैली देखकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि “धांधली” नहीं होगी/होती है. मान लेते हैं कि अगर धांधली नहीं भी होगी तो आप अतिथि शिक्षकों के भरोसे बच्चों को क्यों छोड़ना चाहते हैं? जब अभ्यर्थी शिक्षक बनने की सभी योग्यताओं को पूरा करते हैं तो आप उनकी नियुक्ति कीजिये! नियोजन या अतिथि वाले डिब्बे में क्यों धकेल रहे हैं? अतिथि शिक्षक बनाने का क्या औचित्य है? 

अतिथि शिक्षक या किसी भी विभाग में ठेके पर बहाल होने वाले स्टाफ को कुछ समय बाद स्थायी कर दिया जाता है! इसकी चयन प्रक्रिया में ही सारा “खेल” हो जाता है. आखिर, इस रास्ते से नौकरी देने का कौन सा नया “खेल” खेल रहे हैं नीतीश जी और उनकी सरकार के कर्ताधर्ता? किस वर्ग को फायदा पहुंचा रहे हैं? कौन हैं वो लोग जो इस रास्ते से नौकरी बांट रहे हैं?

जहां तक मैं समझता हूँ कमज़ोर वर्गों, दबे-कुचले, वंचितों, आम आदमी, गरीब आदमी के लिए यह रास्ता नौकरी में हिस्सेदारी से वंचित करने का रास्ता है. नेताओं, अफसरों का एक खास वर्ग नहीं चाहता कि समाज के निचले स्तर का आदमी नौकरी में आये. ये रास्ता जनता के लिए दरवाजे बंद करने जैसा है. पिछले दरवाजे से अपने लोगों की भर्ती करने के लिए है!

एक लेटेस्ट न्यूज़ है कि बिहार सरकार जनवरी 2019 में, 5000 शिक्षकों की भर्ती करेगी जिसके आदेश दे दिए गए हैं वो भी अतिथि शिक्षक! मुस्कुराइये…. आप नये बिहार में हैं….बिहार में बहार है…!

About Author: विजय कुमार रॉय, सामाजिक कार्यकर्ता

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