गुजरात की मुख्य पार्टी भाजपा और कांग्रेस के अलावा जदयू, एनसीपी और तोगड़ियाजी की नई पार्टी का दब दबा आगामी लोकसभा चुनाव में दिखेगा. ये सभी दल मिलके किसानों और पाटीदार के वोट बैंक को तोड़ेंगे या कुछ नया इतिहास होगा ये आनेवाला वक़्त ही बताएगा. गुजरात में काफी महत्वपूर्ण रहेगा 2019 का चुनाव ऊपर से आम जनता में मौजूदा सरकार को लेकर काफी असंतोष है.खास कर किसान समुदाय में शिक्षा, रोजगार और सिंचाई के और बहुत सारे प्रश्न मोदी सरकार के लिए सर दर्द बनेगा.
गुजरात का सबसे बड़ा पाटीदार आरक्षण आंदोलन का असर ख़त्म होता दिख रहा है. आंदोलन से उभरा हुआ चेहरा हार्दिक पटेल पर उठते सवाल अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है कि अब हार्दिक पटेल की विश्वसनीयता खत्म हो रही है. हार्दिक पटेल को जिस तरह से समाज ने उनका साथ दिया उसको देखते हुए आज लोग सवाल उठा रहे हैं और सोचने पर मजबूर हो गए हैं की हार्दिक अपनी निजी राजनीति और मीडिया में बने रहने के लिए ही काम कर रहे हैं. 2017 के बाद आरक्षण की बात कही दब गई है. अब हार्दिक पटेल अन्यो मुद्दों पर सवाल खड़ा कर मिडिया में बने रहते है. अपने समाज का मुद्दा और 9 भाइयों की शहादत शायद भूल गए है. ऐसी बातें सोशल मीडिया में सवाल उठते रहे हैं.
हार्दिक पटेल के शरुआती सभी साथी एक एक कर साथ छोड़ रहे है. अब हार्दिक पटेल के साथ गिने चुने लोग बचे हैं. ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है. कई लोग राजनीति में जुड़ गए हैं. हार्दिक पर कांग्रेस का ठप्पा लग चुका है. हाल ही में उनके साथी दिनेश बंभनिया दवारा हार्दिक पर जदयू के साथ के रिश्तों को लेकर मीडिया में बयान दिया है. जिससे हार्दिक पटेल पर सामाजिक और राजनीतिक विश्वसनीयता दाव पर लग गई है. हाल ही में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की मांग को स्वीकार कर 16% आरक्षण देने की बात को लेके हार्दिक पटेल पर बहुत सवाल उठ रहे हैं. आरोप है कि हार्दिक पटेल ने आंदोलन को राजनीतिकरण कर दिया और 2019 के लिए वो अपना अस्तित्व खड़ा करने में लगे हैं.
2019 में वोटो की राजनीति होगी ये बात तय है और साथ में बाकि लोगो को भी किसी पार्टी में स्थान मिलने पर आंदोलन छोड़ अपना निजी स्वार्थ सिद्ध करने के प्रयास करते दिखेंगे. हार्दिक के करीबी साथी अल्पेश कथिरिया राजद्रोह केस में जेल में है. उनके लिए कोई भी ठोस कदम नहीं लिया जा रहा है. इस बात को लेकर भी हार्दिक पटेल पर से लोगो का भरोसा अब दिन प्रति दिन कम हो रहा है, हो सकता है समाज का गुस्सा आनेवाले दिनों में हार्दिक पटेल को झेलना पड़ेगा ऐसे हालात बन रहे हैं. इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में हार्दिक पटेल का ज्यादा इफेक्ट नहीं होगा.
इसके साथ ही पाटीदार समाज के आंदोलनकारिओं का एक समाज प्रेमी सभी राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियो पर अपनी नजर लगाये बैठे हैं. ये लोग शरुआत से सक्रीय भूमिका में है और आनेवाले समय में ये टीम 2019 में समाज को एकजुट और एकता बनाये रखने के लिए मैदान में आएंगे बहुत बड़ा योगदान इन लोगो का आनेवाले समय में दिखने को मिलेगा. इस टीम में सौराष्ट्र में सक्रिय और2014 के किसान आंदोलन और सामाजिक आंदोलन में सक्रिय भूमिका में रह चुके दबंग युवा भी हैं. उत्तर गुजरात मध्य गुजरात के कई सारे ऐसे दबंग युवा नेता हैं जो आज भी शरुआती दिनों से सक्रीय हैं.
आने वाले समय में समाज का कोई निजी स्वार्थ हेतु राजनीति में उपयोग कर समाज को तोड़ने का काम न हो ऐसी रण नीति के साथ बहार आएंगे. सभी आंदोलनकारियों की गतिविधि पर वो अपनी नजर लगाये हुए हैं. ये लोग सरकार से नाराज है और किसी भी राजनीतिक दल को समर्थन नहीं करते.ये पूरी टीम समाज के साथ है. इस बात से साफ दिख रहा है कि गुजरात में लोकसभा दंगल में वोट बैंक के लिए सभी दाव पेच खेले जाएंगे.
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