अहमदाबाद| नागरिक अधिकारों को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने में जन संघर्ष मंच (Jan Sangharsh Manch) और नकली समाचारों के खिलाफ आंदोलन में ऑल्ट न्यूज़ (Alt News) का महत्वपूर्ण योगदान राष्ट्रीय स्तर पर ज्ञात है. गुजरात में स्थापित इन दो संगठनों के साथ बहुत करीबी से जुड़े हुए हैं प्रतिक सिन्हा जी. वह अपने माता-पिता (मुकुल सिन्हा-निर्जरी सिन्हा) द्वारा स्थापित की गई संस्था जन संघर्ष मंच का सदस्य है जबकि वह संस्थापक है ऑल्ट न्यूज़ के. प्रतिक जी पेशे से इंजीनियर हैं, और कई मुल्कों में काम कर चुके हैं. लेकिन माता-पिता के सामाजिक कार्यों से ज्यादा दिन तक दूर नहीं रह सके तथा 2013 में गुजरात लौट कर प्रतिक सिन्हा जी जन संघर्ष मंच के साथ जुड़ गए और सोशल वर्क करना शुरू कर दिया. प्रतिक सिन्हा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. Truth of Gujarat के जरिए गुजरात की घटानाओं को सबके सामने रखा, जिसमें फेक इनकाउंटर से लेकर एक से बढकर एक सेक्स कांड की घटनाए शामिल हैं, वही अब Alt News से फेक न्यूजों पर शिकंजा कस रहे हैं.
प्रतिक सिन्हा जी से एक ख़ास मुलाकात की क्रिटिकल मिरर की टीम ने. इस बातचित के कुछ अंश:
द क्रिटिकल मिरर ― जन संघर्ष मंच क्यों शुरू किया गया?
प्रतिक सिन्हा ― मेरे माता पिता पीआरएल (Physical Research Laboratory) संथा से जुड़े हुए थे, इस संथा के तहत 1970 में इनलोगों ने वर्कर्स के हक के लिए लडे थे. उन को बहुत संघर्ष करना पड़ा. कड़ी संघर्ष के बाद वर्करों का यूनियन बना. उसके बाद 1990 में जन संघर्ष मंच का शुरू किया गया. तब जन संघर्ष मंच ने हाउसिंग और एनवायरनमेंट मुद्दों पर बहुत काम किया. जामनगर जिले में स्थित पिरोटान द्वीप (Pirotan Island) एक समुद्री टापू है जो मूंगे की चट्टानें (coral reefs) के लिए जाना जाता है. वहाँ पर रिलायंस एक पाइपलाइन बिछा रही थी, तब उस के विरोध में जन संघर्ष मंच ने केस फाइल किया था.
…हम लोगों ने गुजरात मॉडल से लेकर फेक एनकाउंटर , गुजरात दंगा , सुनप गेट के ऊपर स्टोरी किया था. सुनप गेट मुद्दा जो हुआ था उस में एक लडकी को आईबी और एटीएस के द्वारा उस की स्नुपिंग की गई थी. जिसका टेप हम लोगों के पास है. हम लोगों ने उस के बारे में लिखा भी…
द क्रिटिकल मिरर ― वेबसाइट Truth Of Gujarat क्यों शुरू किया था, इस पर कैसी स्टोरी आती थी?
प्रतिक सिन्हा ― ट्रूथ ऑफ़ गुजरात मेरी माँ ने 2013 में शुरू किया था. तब मैं विअतनाम से वापस गुजरात आया था. 2 जुलाई 2013 को इशरत जहाँ एक फेक एनकाउंटर पर सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कि थी. गुजरात में जो 4 फेक एनकाउंटर हुआ थे, उसमें सोहराबुद्दीन शेख, इशरत जहाँ, तुलसी प्रजापति और सादिक जमा इनकाउंटर पर रिसर्च जन संघर्ष मंच ने किया था. यह जो 2 जुलाई में चार्जशीट सीबीआई ने दाखिल किया, उससे शीर्ष राजनीतिक वर्ग (top political class) के लोगों पर उंगलिया उठने लगी थी. सब जहग चर्चाओं में काली दाढी और सफ़ेद दाढी की बात होती थी. सितम्बर के महीने में बीजेपी पीएम उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने वाली थी. पीएम उम्मीदवार का नाम बहुत बड़ा मुद्दा बन गया था. इस घोषणा ने मीडिया ने एक अलग बहस छेड़ दी थी और देश के सामने एकतरफ़ा स्टोरी दिखाया जा रहा था. तब मैंने अपने माता पिता को बोला की आप लोगों के पास फेक इनकाउंटर को लेकर इतने सारे सबूत हैं, तो क्यों हीं इस को ऑनलाइन अपलोड कर दिया जाए. तभी ट्रूथ ऑफ़ गुजरात शुरू हुआ था, और शुरू में सबसे ज्यादा स्टोरी इशरत जहाँ फेक इनकाउंटर पर ही किया.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में कोई गुजरात मॉडल (Gujarat Model) के बारे में नहीं बोल रहा है, लेकिन 2014 में जोर शोर से बोला जा रहा था उस को भी हम लोगों ने कवर किया था. तब हम लोगों ने गुजरात मॉडल की जो वैकल्पिक सच्चाई (alternative truth) है वह लोगों के सामने लाने की कोशिश की थी. हम लोगों ने गुजरात मॉडल से लेकर फेक एनकाउंटर (Fake Encounter), गुजरात दंगा (Gujarat Riots), सुनप गेट (Snoop Gate) के ऊपर स्टोरी किया था. सुनप गेट मुद्दा जो हुआ था उस में एक लडकी को आईबी (IB) और एटीएस (ATS) के द्वारा उस की स्नुपिंग की गई थी. जिसका टेप हम लोगों के पास है. हम लोगों ने उस के बारे में लिखा भी.
उस लड़की की स्नुपिंग गुजरात में ही नहीं कर्नाटक में भी कराई गई थी. तब वह मेन मुद्दा था, उस मुद्दा को ना कांग्रेस उठा पाई और ना ही कोई जांच कमिटी बहाल की गई. जब क्रॉस स्टेट स्नुपिंग होता है तो यह मामला सेन्ट्रल गवर्नमेंट में आता है, मगर इस मामले में सिर्फ राज्य सरकार ने जांच कमिटी बैठाई थी, जो 2014 के चुनाव बाद सरकार बनते ही कमिटी को बंद कर दिया गया हैं.
द क्रिटिकल मिरर ― आपने बोला की कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया नहीं, 10 साल केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही है, तो क्या ऐसा नहीं लगता है की कांग्रेस ने भी वही काम किया जो बीजेपी करती आई है? बीजेपी को बचाने का काम कांग्रेस ने किया है.
प्रतिक सिन्हा ― बचाने का तो नहीं पता मगर यह तो बात सच है की कांग्रेस का जैसे फेक एनकाउंटर या कुछ और भी, उनको भी डर है. क्योकि वह बहुत सॉफ्ट हिंदुत्व (Soft Hindutva) का कार्ड खेलते हैं, तो उनको भी वोट बैंक का डर हैं. मगर सुनप गेट केस में तो हिन्दू मुस्लिम की बात नहीं थी. यह तो एक महिला से जुड़ा हुआ मामला था. अगर कांग्रेस जांच कमेटी बैठा देती तो सच्चाई सब के सामने आ जाता. मगर इस मामले में कांग्रेस फेल रही.
अगर मैं गुजरात की बात कहूँ तो, यहाँ पर एक नालिया सेक्स स्कैंडल हुआ था, जहाँ बीजेपी के कुछ लीडर का नाम आया था. वहां आम आदमी पार्टी जैसी छोटी पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस किया और मुद्दे को जोर शोर से उठाया था. वहीँ कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस दो दिन के बाद हुआ था. यह जो सेक्स कांड मामला था, उसको गुजरात कांग्रेस उठाने में नाकाम रही.
…अभी के समय में फेक न्यूज बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि आज सब के पास सोशल मीडिया हैं. अभी का जो यूथ है वह ज्यादातर न्यूज़ सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ही देखते हैं…
द क्रिटिकल मिरर ― जन संघर्ष मंच और ट्रूथ ऑफ़ गुजरात के बाद ऑल्ट न्यूज़ शुरू करने पीछे क्या मकसद था और अभी आप किस मुद्दे पर काम कर रहे हैं.
प्रतिक सिन्हा ― ट्रूथ ऑफ़ गुजरात पर अभी काम नहीं हो रहा है, अब सबसे ज्यादा काम ऑल्ट न्यूज़ पर हो रहा है. ट्रूथ ऑफ़ गुजरात में सिर्फ गुजरात के ऊपर ही काम हो रहा था. पर अभी हम पुरे देश को देख रहे हैं जिस के चलते हम लोगों ने ऑल्ट न्यूज़ शुरू किया है. सोशल मीडिया के जरिये अभी एक फर्जी खबर का दौर शुरू हुआ है. लोग फेसबुक वाट्सअप के जरिये फर्जी खबर फैला कर लोगों को गुमराह कर रहे है. धर्म के नाम पर बहुत सारे ग्रुप बने हुए है जिस में धर्म के नाम पर लोगों के बीच घृणा पैदा किया जा रहा है. हम उस के ऊपर काम कर रहे हैं की कैसे फेक न्यूज़ इंडिया का जो सोशल फेब्रिक है उस को नुकसान पहुंचा रहा है. कैसे जो फर्जी खबर है वो लोगों को धर्म के नाम पर बाँट कर मतदान निर्णय (voting decision) को बदल रहा है. अपने देखा होगा चलाया जाता है की यहाँ पर गाये काट दिया, वहां पर गाये काट दिया, यह जो वीडियो होते हैं, फोटो होते हैं, वह इंडिया के नहीं होते हैं. बहुत बार तो पुराने वीडियो और फोटो को यह बोल कर चलाया जाता है की यह कल या परसों कि घटना हैं.
अभी के समय में फेक न्यूज बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि आज सब के पास सोशल मीडिया हैं. अभी का जो यूथ है वह ज्यादातर न्यूज़ सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ही देखते हैं. जैसे की मोबाइल, वेबसाइट फिर वाट्सअप जिस के जरिये कोई भी फेक न्यूज लोगों के बीच आसानी से वायरल किया जा सकता हैं. एक आंकडे के अनुसार जून 2016 में इंडिया में 200 मिलियन गिगाबिट इंटरनेट हर महीने यूज हो रहे थे. वहीँ मार्च 2017 में वह आंकड़ा बढ़ कर 1.3 बिलियन गिगाबिट तक पहुंच गया. सिर्फ नौ महीने में 6 गुना से भी ज्यादा बढ़ा है और एक आंकड़े के अनुसार इंडिया में जो रूरल इंटरनेट बढ़ा है वह साल भर में 22% बढ़ा है वहीँ अर्बन में 7% बढ़ा है. यह आंकड़ा 2016 का है.
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